4.12.06

हमें मदद चाहिए

भाषा एवं शिक्षा के सम्बन्ध में विचार करते समय मन में अनेक प्रश्नों का जन्म हुआ। जैसे कि −

• भारत में शिक्षा के लिए मातृभाषा का माध्यम ज्यादा ठीक है या अंग्रेजी (विदेशी) भाषा का माध्यम बेहतर है?
• क्या मातृभाषा में शिक्षा पाने से गणित एवं विज्ञान विषयों को समझने में सहायता मिलती है?
• क्या अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा देना अंग्रेजी भाषा पर मजबूत पकड़ की गारण्टी है?
• क्या अंग्रेजी शिक्षा को अनिवार्य बनाने से बच्चों की शिक्षा पर खराब असर पड़ सकता है?

इन प्रश्नों का समाधान करने के लिए हमें निम्नलिखित जानकारी की आवश्यकता है। यह काम अकेले हमारे बस का नहीं है, इसलिए यदि आप मदद कर सकते हैं तो कृपया सम्पर्क करें।

1) पिछले दस वर्षों के दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) में प्रथम 10 स्थान पाने वाले छात्रों को किस माध्यम में शिक्षा मिली थी? यदि एक से अधिक माध्यमों से शिक्षा मिली हो तो पांचवी से दसवीं कक्षा के छ: वर्षों के दौरान अधिकांश शिक्षा जिस माध्यम से मिली थी, उसी को शिक्षा का माध्यम माना जाए।

2) ऊपर लिखी जानकारी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) में ही प्रथम 50 स्थान पाने वाले छात्रों के लिए भी एकत्रित करनी है।

3) ऊपर लिखी जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) या केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) मेडिकल प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों की भी एकत्रित करनी है।

4) विज्ञान व गणित के शिक्षकों का अनुभव क्या कहता है − क्या शिक्षा के माध्यम से छात्रों की योग्यता पर असर पड़ता है?

5) यदि आप किसी ऐसे छात्र को जानते हैं जो पढ़ तो अपनी मातृभाषा में रहा है, लेकिन अंग्रेजी विषय में कमजोरी के कारण पढ़ाई से विरक्त हो रहा है, तो कृपया हमें उसका नाम व पता भेजिए।

6) ऐसे छात्रों की कमी नहीं जो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने के बावजूद अंग्रेजी ठीक से नहीं बोल पाते। ऐसे छात्रों से बात करके उनसे पूछना है कि इस का क्या कारण है। यह कारण, छात्र का नाम, पता व कक्षा हमें भेजिए। इस जानकारी के लिए वें ही छात्र चुने जाएं जो कम से कम 5 वर्ष अंग्रेजी माध्यम में पढ़े हों।

7) यदि इस विषय पर पहले से ही कोई भारतीय अथवा विदेशी सर्वेक्षण हुआ हो कृपया उसकी जानकारी भी हमें भेजें।

इस जानकारी के एकत्रित होने पर हम इसे पुस्तक के रूप में व इन्टरनेट पर प्रकाशित करेंगे। हमारा विश्वास है कि यह जानकारी छात्रों व अभिभावकों के लिए अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होगी।

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत अच्छा प्रयास है आपका मुकेश जी, इससे मन में दबी मिथ्या धारणायें जरूर उजागर होंगी।

अनुनाद सिंह ने कहा…

आपने बहुत ही सार्थक प्रश्न उठाया है।
इस प्रश्न के उत्तर में शिक्षा के माध्यम से ज्यादा महत्व के अन्य कारक भी हो सकते हैं, जैसे विद्यालयों में असमान शिक्षण स्तर, असमान शिक्षक-योग्यता, 'कटिंग एज्ज' लाने के लिये आवश्यक माहौल में असमानता आदि।

एक और महत्वपूर्ण बात है कि भारत में (और शायद विश्व में भी) कोई ऐसी परीक्षा नही है जो रट्टुओं को आगे आने से रोकती हो और रचनात्मक, मेधावी, समस्या-समाधान में प्रवीन छट्रों को चुन सके।

भारत में समस्या यह है कि यहां अंग्रेजी (और वो भी बोलचाल की अंग्रेजी) न जानने वालों को रोकने के सारे जुगाड़ बना दिये गये हैं। अच्छा ये होता कि गणित आदि विषयों की जानकारी को मेघा का संकेत माना जाता, न कि स्पोकेन इंगलिश को, जो कि बहुत कुछ छात्र के वातावरण पर निर्भर करती है।